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Juhi Grover

Tragedy

4  

Juhi Grover

Tragedy

लड़कियाँ

लड़कियाँ

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अपने घर में ही पैदा होती हैं, 

फिर भी पराई होती हैं लड़कियाँ।


पिता के प्यार में, 

माँ के दुलार में, 

भाई-बहनों की तकरार में, 

बड़ी हो जाती हैं लड़कियाँ।


शून्य किया धरा हो जाता है, 

पराया अपना घर हो जाता है, 

मायका मेहमान घर हो जाता है, 

ब्याही जब जाती हैं लड़कियाँ।


बहु बन जाती हैं, 

पत्नी धर्म निभाती हैं, 

खुद को भूल जाती हैं, 

पराये घर की होती हैं लड़कियाँ।


संवेदनाओं का सफ़र, 

निभाती हैं ता-उम्र,

फिरती हैं दर-बदर,

अकेली हो जाती हैं लड़कियाँ।


अन्तिम समय आ जाता है, 

भगवान का सहारा हो जाता है, 

अपनापन खत्म हो जाता है, 

ज़िन्दगी से मौत हो जाती हैं लड़कियाँ।


अपने घर में ही पैदा होती हैं, 

फिर भी पराई होती हैं लड़कियाँ।


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