लागी प्रीत
लागी प्रीत


होने लगा है ये दिल पागल
जब से सांवरे तुमको देखा है
ख़्वाब सजाए नए - नए
ये मन बावरा रहता है......
ना होश रहा इस दुनिया का
ना सैर करी इस बगिया की
रंग - बिरंगे फूलों में बस
सूरत दिखी कन्हैया की
कभी दिखे माखन चुराते
कभी वृंदावन में गऊ चराते
कभी गोपियों संग रास रचाते
सदा अधरों पर मुस्कान सजाते
मग्न होती जा रही हूं, मैं
कान्हा तुम्हारी भक्ति में
प्रेम, प्रतिष्ठा अनंत है
केशव तुम्हारी शक्ति में
जब भी तुमको याद करूं
दर्शन की फरियाद करूं<
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शीश नवाकर प्रभु पग में
अंतर्मन की बात करूं...
जगत का संपूर्ण ज्ञान
आपके भीतर समाया है
जीवन की हर पहेली को
आपने तुरंत सुलझाया है
ना बैर रखना किसी से
ना निंदा किसी की करना
तुम जैसे हो वैसे ही रहना
बिना सोचे - समझे न कहना
इस ज्ञान का सार हमें
माधव आपसे मिला है
प्रेम है शक्ति, प्रेम है भक्ति
प्रेम दिलों का काफिला है
ज़िंदगी की हर राह पर आप
हमारा मार्गदर्शन करते प्रभु
धन्य धन्य हम भक्त अनन्य
हम आपको धन्यवाद करते प्रभु।