क्यों
क्यों
बच्चों की,
चीख़ों से भरा
निठारी का नाला
चीख़ता है ख़ामोश चीख़।
सड़ रहे थे जिसमें
माँस के लोथड़े
गल रही थी जिसमें
हड्डियों की कतारें,
और दफ़्न थी जिसमें
मासूमों की ख़ामोश चीख़ें।
कर दिया गया था
जिन्हें कई टुकड़ों में,
बनाने अपनी हवस का
शिकार।
क्यों है वो भेड़िया
अब भी जिंदा ?
कर देनी चाहिए
ज़िस्म की उसके
बोटी-बोटी,
बनने गिद्ध और चीलों
का भोजन !