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Archana kochar Sugandha

Tragedy

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Archana kochar Sugandha

Tragedy

क्यों सस्ते हो गए इंसान--?

क्यों सस्ते हो गए इंसान--?

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सोशल मीडिया पर विनम्र श्रद्धांजलि, 

ओम-शांति-ओम हैं। 

थिरकती हैं उंगलियाँ

जाने वाले यह सब कौन हैं--? 

कुछ चेहरे जाने-पहचाने हैं 

कुछ बिल्कुल अनजाने हैं। 

अनजाने, मगर किसी घर के चश्मे-ए-चिराग हैं। 

माहौल बड़ा गमजदा

और वक्त क्रूर हैं 

ए! मालिक बता- तुझे क्या मंजूर है--? 

तेरी रजा का मुसाफिर

तेरे रहमों-करम में जी हुजूर हैं। 

सही सलामत बक्श दो जान 

हवा महंगी और क्यों सस्ते हो गए हैं इंसान--?

देख कर विनाश के मंजर

तू भी रोता होगा

शरशय्या पर चैन से 

तू भी कहाँ सोता होगा।



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