क्या मुझे हक़ नहीं
क्या मुझे हक़ नहीं
माँ पूछती है, मेरी लाडो मुझे प्यार करती है...
पापा पूछते है, मेरी परी मुझे प्यार करती है...
भाई पूछता है, मेरी गुड़िया मुझे प्यार करती है...
जब एक लाडो, एक परी, एक गुड़िया
इन सबसे प्यार कर सकती है l
तो फिर वो अपने प्यार से प्यार क्यूं नहीं कर सकती
जब उसकी पसंद
उसके प्यार की बारी आती है
तो सब इतने नाखुश क्यूं हो जाते है l
क्या ये जरूरी है की वो पूरी जिंदगी
अपनों को प्यार देने
उन्हें खुश करने में बीता दे
और उसके प्यार का क्या
उसकी खुशियों का क्या
जिसे वो चाहती है....उसका क्या ?
क्यूं उसके प्यार के पीछे
सारी दुनिया दुश्मन बन बैठती है
क्या इतना भी हक़ नहीं उसे
कि वो अपनी खुशी के बारे में सोचे
अपने प्यार के बारे में सोचे
हां ! बोलो ना
है कोई जवाब l
