बचपन
बचपन
वो बचपन बहुत याद आते है,
जाने कहा खो गए वो पल
जाने कहा खो गयी वो खुशियाँ
जो दिल से जुड़ी हुआ करती थी l
ना कोई दिखावा था
ना कोई झूठी बाते
बस डर भी सच्ची और खुशियाँ भी सच्चे l
माँ कभी खाना ले के पीछे भागती
तो कभी चढ़ी,
पापा जब शाम को घर आते
तो दिल खुश हो जाता
क्या लाये आँखें कभी उनके हाथ
तो कभी पॉकेट को झांकताl
पढ़ाई की टेबल पर
जब निंदिया रानी आती
तो भैया की चौकीदार बहना
उसे चुपके से जगती l
फूलो की जेवर से सजते
रंग बिरंगी तितलियों के पीछे भागते,
बहना के साथ वो घर घर खेलना
तो संडे को पापा के साइकिल में
बैठकर वो सैर पर निकलना l
साल भर इंतजार रहता
उन छुट्टियों का
की कब नानी के घर पहुंचे
खूब मस्ती करे और
लुत्फ उठाये उन कहानियों का
पर अब वो बचपन की तस्वीरें तो है
बस तलाश है उन खुशियों का l
बस तलाश है उन खुशियों का l
