सोच ज़माने की
सोच ज़माने की
वक़्त बहुत बदल गया है
और वक़्त के साथ - साथ
हम भी बदल गए हैं
और इसलिए सबका मानना है कि
लड़के और लड़कियां बराबर होते हैं
पर आज भी मैंने कई जगह देखा है l
की अगर किसीपे इल्जाम लगाने की बात आती है l
तो उसमे सबसे पहले लड़कियों की ही बात होती है
कि लड़कियों ऐसा नहीं ऐसा करना चाहिए l
माना कुछ लड़कियां हद से ज्यादा
आगे चली जाती है, कुछ बातो में
उन कुछ लड़को की तरह l
पर इसका मतलब ये नहीं की
सारी लड़कियां ही ऐसी होती है,
और जैसे सारे लड़के बुरे नहीं होते
वैसे
सारी लड़किया भी, बुरी नहीं होती
पर फिर भी मैंने अक्सर देखा है l
संस्कारो और हद में रहने की टिपणीयों में
हमेशा लड़कीओ का ही नाम होता है l
पर क्या हम भूल रहे हैं
की लड़को के लिए भी संस्कारो
और हद में रहना कितना जरुरी होता है
पर अफ़सोस की बात है की
हम ये बात भूल जाते है
और ज़ब तक हम ऐसा करते रहेंगे
तब तक चाहे हम कितनी ही
उचाईयों में पहुँच जाये
ये बराबरी कभी नहीं आ सकती l
क्यूंकि वक़्त भले ही बदल गया है
पर हमारी सोच को अब भी बदलने की जरूरत है l