Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Renu kumari

Abstract

3  

Renu kumari

Abstract

क्या मैं सच में आज़ाद हु

क्या मैं सच में आज़ाद हु

1 min
53


एक सवाल है मेरा उस देश से क्या मैं सच में आज़ाद हूँ। 

क्यों डर है मुझे जनम से पहले मरने का ?

क्यों डर है मुझे उन रास्तो पे अकेले चलने का ?

क्यों हर माँ उस खौफ से डरती है ?

क्यों हर लड़की सपने देखने से कतराती है ?

क्यों डर है लोगो के आलोचना करने का ?

क्यों डर है मुझे अपने मंजिलो पे चलने का ?

क्यों मुझ पर इतनी पाबन्दी है ?

क्यों हर शक्श मुझे ही गलत ठहरता है ?

क्यों मेरा खूबसूरत होना लोगो को खलता है ?

क्यों मेरा आसमान में उड़ना उस समाज को बुरा लगता है ?

क्या मैं सच में आज़ाद हूँ ?

इस जूठी आज़ादी को आओ मिलकर मिटाते हैं। 

जरुरी नहीं सरहद पे शहीद होने से ही हम आज़ाद होंगे। 

आओ सब एक बार फिर इस देश को आज़ाद बनाते हैं। 

जहाँ कभी कोई नन्हीं सी जान को मारा न जायेगा। 

जहाँ कभी किसी औरत को रास्तो पे डराया न जायेगा। 

जब हर माँ अपनी बेटी को उसके डर से आज़ाद करेगी। 

जब हर लड़की अपने सपनो को अपनों के साथ से पूरा करेगी। 

जहाँ लोगो की बातो में प्यार होगा। 

जहाँ हर लड़की को अपनी मंजिल पाने का ऐतबार होगा। 

जब कोई बेड़ियाँ न होंगी मेरे पैरो में। 

जब मेरे खूबसूरत होने का इस देश को भी गुमान होगा। 

हाँ तब मैं भी मेरे देश की तरह आज़ाद होकर खुली हवा में बेफिक्र झूमूंगी।

शायद तब मैं भी आज़ाद होंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract