क्या कहा लड़के रोते नहीं
क्या कहा लड़के रोते नहीं
क्या कहा लड़के रोते नहीं
जरा गौर से देखो हमारी तरफ
बिना रोये हम सोते नहीं
ऐसा नहीं है कि मैं शौकिया रोता हूँ
ये भी किसी अपने की मेहरबानी है
एक दौर था जब मैं हँसता खिलखिलाता था
रात दिन सिर्फ मुस्कुराहट फैलाता था
फिर एक दिन अचानक एक लड़की से आंखें चार हुई
जिस्म क्या रूह तक बेकरार हुई
उसको भी मुझसे प्यार हुआ
जीना उसका भी दुशवार हुआ
एक पल भी नहीं रह पाती थी मेरे बिना
मैं भी जी नहीं सकता था उसके बिना
सारे ख्यालात विचार मिलते थे हमारे
सिवा हमारी जाति के
घरवालो को नामंजूर हुआ सबने मिलकर दूर किया
उसकी शादी कहीं और किया
पर मै तो सिर्फ उसका था
और किसी का कैसे हो जाऊँ
शायद इस जनम में नहीं तो अगले जनम मिल पाऊँ
आज पूरा हुआ है चार साल
आँखें अब भी हो जाती है रोते रोते लाल
मैं गणित का शिक्षक होकर भी
जो हल नहीं कर पा रहा
यही है वो सवाल
उसके दूर जाने का बस हरपल रहेगा मलाल
अब देखते हैं आगे कब तक बदलेगा मेरा हाल
जीवन क्या मौत को भी कर दिया टाटा बाय
आप सभी पाठको की क्या है अपनी राय
