STORYMIRROR

Veena rani Sayal

Fantasy

3  

Veena rani Sayal

Fantasy

कविता

कविता

1 min
238

हसरतों की एक कली दिले गुलशन में मुस्काई

बैरी भंवरा बन गया यह जग, पल में वो मुरझाई ।


हसरत थी कि बन कर पंछी दूर गगन उड़ जाऊं

नील गगन की छांव में छोटा सा नीड़ बनाऊं।


हसरत थी कि सपनों से एक नई दुनिया बसाऊं

रूप का न हो वहां ठिकाना, सीरत की हो वाहवाही


हसरतें पूरी कहां हुई हैं, हसरत ने मात है खाई 

जब तक सांस है, हसरत देखो उमड़ उमड़ कर आई



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy