STORYMIRROR

कुछ बाते कहनी थी तुमसे

कुछ बाते कहनी थी तुमसे

1 min
27.7K


तुम्हे पता है

तेरी मेरी यादों को गुफ्तगू किए

कुछ बरस बीत से गए

तुम्हें पता है

माली की निगाहें चुरा कर

उपवन में चोरी से आना

फिर आम के पेड़ की उस डाली पर

वो मीठी सी नोंक झोंक करते हुए

गोदी में सिर रखकर

तेरी आंखों में डूबकर

कुछ बाते कहनी थी तुमसे


सांझ ढले दबे पांव

हमारी मुलाकातें अब

घर की खिड़कियों से

झांक रही थी

उस दिन खिड़की पर बैठा मैं

सामने खिड़की खुलने के इंतजार में

नज़रों से नजरें मिलाकर

कुछ बातें कहनी थी तुमसे


उस रिमझिम सी बारिश में भी

मिली थी चुपके से ये नजरें

कुछ झुकी सी थी ये

भींगे भीगे पलकों से

अधर पर गिरी बूंदों को भी

कुछ बाते कहनी थी तुमसे


तुम्हें पता है वो

भीड भरा साहिल भी अब

तन्हाई का आलम बन गया

एक स्वप्न देखा था

हाथों में हाथ डाले

गौरैया की चहचहाट में

धीरे धीरे फुसफुसाहट के जरिए

कुछ बातें कहनी थी तुमसे


तुम अपने घर की चौखट पर

कुछ उम्मीदें रखना मुझसे

उस घर के आंगन में भी

मेरी तेरी यादों का

जो पुष्प पल्लवित हुआ होगा

उसकी बिखरी खुशबू में

कुछ बातें कहनी थी तुमसे








Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama