करवा चौथ
करवा चौथ
मेरा सजना मेरा पिया आज परदेस से वापस है आया।
मैं कह रही हूं कि जैसे गली में आज देखो चांद आया।
मेरा प्यारा बालम फ़ौजी है, तो दूर सीमा पर है रहता।
सर्दी हो गर्मी हो, हर आँधी तूफ़ान है मेरा प्रिय सहता।
मैं तो अपने प्रियवर को अपना चांद ही कहती रहती हूं।
चांद को ही देखकर अपने नैनों की प्यास बुझा लेती हूं।
मुझे तो चांद में ही अपने स्वामी का अक्स नज़र आता।
उनके पास न होने पर, चांद से बतियाना मुझे है भाता।
आज सौभाग्य से करवाचौथ पे मैं और पिया संग होंगे।
मैं दोनों चांद साथ में देखूंगी, मेरे सारे सपने सच होंगे।