STORYMIRROR

LALIT MOHAN DASH

Abstract Horror Inspirational

4  

LALIT MOHAN DASH

Abstract Horror Inspirational

कर्म और नसीब

कर्म और नसीब

1 min
352

नसीब से बढ़ कर कोई नहीं है

लोग चाहे जो भी कहे

नसीयत दें कि

अच्छे कर्म से नसीब बनता है

कोई अपने बुद्धि के जरिए 

अपने कर्म के माध्यम से

अपनी तकदीर को बना सकता है

बदल सकता है जरूर हाथ की रेखा


पर मुझे बहुत अफसोस के साथ

कहना पड़ता है मेरे यार !

ऐसा होना बहुत ही कम ,न के बराबर

सिर्फ ये बात सच कभी कभी होता है

क्योंकि कभी कभी कोई 

आम आदमी

शाहरुख खान और अंबानी बनता है


 मेरे उम्र का तजुर्बा यही है कि 

नसीबवाला जन्म से ही 

नसीब वाला होते है 


वो चाहे जो भी हो 

कुछ जाने या न जाने

सयाना है या बुद्धू 

पंडित है या मूर्ख

सुंदर है या कुरूप 

लंबा है या बौना

कोई बात नहीं 

ये सब निरर्थक है

इससे कोई फर्क पड़ता ही नहीं है


और ऐसे नसीबवाले ही शादियों से

राज कर रहे हैं जमाने पर

जमाना उनके पीछे पीछे 

दुम हिलाता रहता है और

हिलाता रहेगा सदा जब तक है संसार


भागेगा उनके एक इशारे पर

बंदर के तरह उछलकूद करते रहेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract