कर्म और नसीब
कर्म और नसीब
नसीब से बढ़ कर कोई नहीं है
लोग चाहे जो भी कहे
नसीयत दें कि
अच्छे कर्म से नसीब बनता है
कोई अपने बुद्धि के जरिए
अपने कर्म के माध्यम से
अपनी तकदीर को बना सकता है
बदल सकता है जरूर हाथ की रेखा
पर मुझे बहुत अफसोस के साथ
कहना पड़ता है मेरे यार !
ऐसा होना बहुत ही कम ,न के बराबर
सिर्फ ये बात सच कभी कभी होता है
क्योंकि कभी कभी कोई
आम आदमी
शाहरुख खान और अंबानी बनता है
मेरे उम्र का तजुर्बा यही है कि
नसीबवाला जन्म से ही
नसीब वाला होते है
वो चाहे जो भी हो
कुछ जाने या न जाने
सयाना है या बुद्धू
पंडित है या मूर्ख
सुंदर है या कुरूप
लंबा है या बौना
कोई बात नहीं
ये सब निरर्थक है
इससे कोई फर्क पड़ता ही नहीं है
और ऐसे नसीबवाले ही शादियों से
राज कर रहे हैं जमाने पर
जमाना उनके पीछे पीछे
दुम हिलाता रहता है और
हिलाता रहेगा सदा जब तक है संसार
भागेगा उनके एक इशारे पर
बंदर के तरह उछलकूद करते रहेगा।

