कर विश्वास
कर विश्वास
द्रुत गति के वेग से चपला चले चहूं ओर है,
आँधी अंधड़ और बवंडर की कहाँ कोई छोर है।
जीत हार ये लय है, इसको मान, ना कुछ और है ,
तू धरा का मान है, ये जानना कुछ और है।
रुक ना तू अपने मुकाम से ,
कूप रज्जु पकड़ जरा ।
नीर छान के तू निकाले ,
इस धरा से तू जरा ।
द्रुत गति के वेग से चपला चले चहूं ओर है ,
आँधी अंधड़ और बवंडर की कहाँ कोई छोर है।
