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Damyanti Bhatt

Classics

4  

Damyanti Bhatt

Classics

कोशिश

कोशिश

1 min
368


मुझे नव दृष्टि दी

मुझे प्रेम दिया

मेरी छोटी बडी गलती को

नजर अंदाज किया

मेरे सुख मैं हंसे और दुख मैं रोये

नकली रौब जमा कर


मेरी असली गलती छुपा देते

कभी धीरे से बोली हूंगी

कुछ चाहिए

 हर कोशिश करके लाते


घर पर मेरा घमंड चलता 

 आंचल की छाया रहती पर

 बाबा के नाम का दबदबा तो संग रहता


जब मैं छोटी थी

कंधों पर बैठी बाबा के

राजकुमारी से ठाट थे अपने

बाबा पर हर हुक्म चलता मेरा

हर जिद पूरी होती मेरी


मेरी शान भी तब तक है

जब तक मेरे बाबा हैं

मेरा मायका भी तब तक है

जब तक बाबा हैं


बाबा का जैसा प्रेम कोई नहीं करता

कोई नहीं पूछता मैं कैसी हूं

मेरी जरूरत क्या है

भाई से वो जिद नहीं कर सकती

वो अपने रंगों मैं मस्त है


जिम्मेदारियां हैं जो मन मार कर निभानी हैं

जो है जैसा है 

जब तक बाबा हैं सब कुछ अपना है

आगे मैं सब जानती हूं


जो नाज बाबा को मुझ पर

वो किसी और को नहीं

जितना प्रेम बाबा करते

उतना कोई और नहीं


बाबा कहते हैं जब मुस्कुराते

तस्वीर सुंन्दर आती सोचो

मुस्कुराते हुए जीवन कितना सुन्दर होगा

 

सब रिश्ते एक तरफ

बाबा कहते लाडो तुम मेरी हो

 जीवन की तपती धूप मैं

ठंडी छांव घनेरी हो।


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