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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

“ कोरोना का झटका “

“ कोरोना का झटका “

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“करोना को बहुत करीब से देखा,

लोगों को अपनों से बिछुड़ते देखा,

आँखों के आँसू तो थमते नहीं थे,

माता , बहनों को बिलखते देखा !!


लोगों के मरने का ताँता लगा था ,

नसीब वालों को कन्धा मिला था ,

दो गज जमीन मयस्सर न हुआ ,

हर कोई यहाँ पर दर्शक बना था !!


काम धंधे सारे बंद होते चले गए ,

दो जून की रोटी मिल ना सकी ,

उदद्योग कारखानों में ताले लगे ,

मजदूरों की हालत बिगड़ने लगी !!


अस्पताल में बिस्तरों की कमी थी ,

मरीज ही मरीज ज़मीनों पे पड़े थे ,

ऑक्सीजन अभाव बिना चिकित्सा ,

की प्रतीक्षा में वे दिनरात खड़े थे !!


यज्ञ -अनुष्ठान कोरोना को पूजा ,  

शंख ,घड़ीघण्ट और डमरू बजाया ,

सोशल दूरियाँ ,मास्क लगा करके ,

बार -बार अपने हाथों को धुलाया !!


लॉक डाउन सारे देश में हो गया ,

फिर भी चुनावी रेलियाँ होती रहीं ,

सरकारी अनुष्ठान न बंद हो सके ,

अव्यवस्था यूँही यहाँ चलतीं रहीं !!


गलत योजना और अव्यवस्था के ,

चलते हमने कितने लोग गमाये , 

सजग सदा यदि हम होते पहले ,

हम भी जग में कुछ नाम कमाते !!



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