कब किसके साथ
कब किसके साथ
कब किसके
साथ क्या
होना पता नहीं।
कब ज़िंदगी में
हमारी किसी
के साथ ख़ामोश
होना पता नहीं।
कब कहाँ कुछ
कहीं हो जाये
हमारे साथ ये
किसी को पता नहीं।
कब वक्त हमारा
वक्त नहीं हो
साथ यह कहाँ
किसी को पता नहीं।
