आस
आस
तेरे आने के उम्मीद पे
इक-इक सांस बढ़ा रहे हैं
तेरे होने के तसव्वुर में
दिन पे दिन गिने जा रहे हैं
तुम्हारी आंखों की बातों पर
धड़कनों का एतबार कायम हैं
तुम्हें पाने की आस में
रातों को काट रहे हैं
तुम्हें दिल का आईना बना के
दबे सारे अरमानों को छेड़ना हैं
तुम में हम गुम हो के
हम में बसे तुम-ही-तुम को जताना है।