रंजिश ही सही दिल ही
रंजिश ही सही दिल ही
कूछ तो मेरे मोहब्बत का हिसाब रख
कभी तो मुझ को मनाने के लिये आजा
पहले से मुझे हंसाने न सही रुलाने के लिये तो आजा
इस दुनिया की रस्मे निभाने के लिये आजा
किस किस को बताऊं अब इस जुदाई का सबब
मुझसे खफा है तो मेरे लिये ना सही इस दुनिया के लिये आजा
बहुत दिनो से राह तक्ता रहा हूं ए महरुम
अब इस दर्द ए दिल को राहत ही सही दिलाने आजा
कूछ उम्मीदें हैं अभी भी जली जिंदा है रक्ते ए दर्द दिल मे
ओ आंख्री उम्मीदें ही सही उम्मीदें दीप बुझाने के लिये आजा।
