हाल ए मेरे दिल का
हाल ए मेरे दिल का
हाल ए मेरे दिल का तेरे चेहरे पे लिखा लगता है
वो जो मेरा दिल चुप चाप खड़ा है जरा बता न तेरा क्या लगता है
क्यू तेरी याद में दिन रात यह मगन रहता है
उसका यू धड़कना तेरे ही मोहब्बत का पैगाम लगता है।
यूं तो हर चीज़ मेरी सलामत है इस दुनियां में
बस एक तअल्लुक है की दिल मेरा टूटा टूटा सा लगता है।
ऐ मेरे जज्बात-ए-जिस्मों मुझ में कशिश है इतनी की
जो खता होता है ओ तीर भी आ लगता है दिल को मेरे
न जाने मै किस उलझन में गिरा हु जालिम ए दिल
इस कदर ओ दूर है ओ मूझसे कि दिल की धड़कन लगती है
जिस कदर दूर है सूरज कि दिया लगता हैं।
