कुछ बातें अधूरी थीं
कुछ बातें अधूरी थीं
1 min
185
कुछ बातें अधूरी थीं कहना भी जरूरी था
बिछड़ना मजबूरी थी मिलना भी इत्तेफाक था
आज सुन भी जाओ, यह कहना मजबूरी थी,
दिल तोड़ना फिर जोड़ना, ये कैसी फितूरी थी।
एक दिन इन वादियों से दूर जाना ही था, ढूंढ़ना भी जरूरी था ,
जीने की ख्वाहिश थी, हर पल हर लम्हा मरना भी जरूरी था।
दिल के बंजर पड़े इस दीवार में, इश्क की बूंदे गिरनी भी ज़रूरी थी
धड़कन रुक न जाए कहीं, ये सांसों को समझना भी ज़रूरी था।
