चिंता तुम्हारी
चिंता तुम्हारी
चिंता तुम्हारी है,
आपके पास भी,
आज कौन है,
उत्सुकता से नहीं ...।
बचत नहीं ..
बचाने लायक नहीं,
बस जीवन ..
यही मेरी फ़रमाइश है ...।
ख्वाहिश तुम्हारी भी है,
फ़रमाइश भी तुम्हारी है,
जिसमें ख़्वाब तुम्हारे
जिसमें साज़िशें तुम्हारी है।
हर पल सुबह तुम्हारी है
हर पल शाम तुम्हारी होती है ..
हर महफ़िल में तुम ही हो ..
जिस ख़याल में तुम्हारी है ...।
