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Daya Shankar

Tragedy

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Daya Shankar

Tragedy

दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं

दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं

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दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं....

वहां से बस यहां हो गया हूं....

अब पता नही मैं क्या से क्या हो गया हूं 

हूं ज़िद्द पर अड़ा डटा शिखर पर 

किससे कहूं किस हद तक लगा हुआ हूं

अपने मकसद अपने लक्ष्य पर

दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं.....

वहा से बस यहां हो‌ गया हूं

न जाने अनजाने में कितने दोस्त कितने लोग

छूटे रूठे सफर में अब सबको यू लगता है

कि घमंड में चूर चूर हो गया हूं....

हूं अभी जिम्मेदारियों के रास्ते पर 

मिलूंगा सबसे मिलकर यह कहूंगा

दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं

वहा से बस यहां हो‌ गया हूं.....

लिख दूं सब कि अभी रहने दूं

हमें समझ लोगे तो रहने दूं

गिला शिकवा नही रहा अब किसी से

किस्मत को क्या कोसू अब जो है रहने दूं

दौड़ते दौड़ते थक सा गया हूं

वहां से बस यहां हो‌ गया हूं

रहा तिनका का सवाल ही नहीं अब 

बिखरा हुआ सब समेट लिया अब 

थोड़ी परेशानियां तो रहेगी ही

जिन्दा रहने का निशानी है यह अब 

यकिनन सब खफा हमसे होंगे

यह भी लिख दूं कि रहने दूं अब ...................

बस यूं ही लिख दिया चलो रहने दूं अब.।


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