कन्यादान या विद्यादान
कन्यादान या विद्यादान
कन्यादान की परंपरा रही है सदियों पुरानी।
विवाह के समय पुत्री को दान किया जाता।
पुत्री जन्म से माता पिता के घर होती सयानी।
उसको यह क्रूर हस्तांतरण तनिक न भाता।
पुत्री प्रसन्न रहे इसलिए उसको दो विद्यादान।
वह सक्षम और आत्मनिर्भर बने विद्या पाकर।
पुत्री बनेगी अपने परिवार का गर्व अभिमान।
वह अपने परिवार को देगी सुख स्वयं लाकर।
कन्यादान या विद्यादान, यह प्रश्न हो जाए हल।
यदि परंपरा निभाने का बोझ मन से उतर जाए।
अपनी पुत्री को बनाएं उसके माता पिता सबल।
निश्चित ही उसका वर्तमान भविष्य संवर जाए।
