कलियुग...
कलियुग...
इस घोर कलियुग में
किसी सतयुगी का मिलना
एक विरल उदाहरण है।
ऐसी अक्सर धोखाधड़ी हुआ करती है
कि कुछ सुविधावादी मुनाफाखोर
अपना स्वार्थ देखकर बेसहारों के आगे
मसीहा बनकर आ खड़े होते हैं...!!
ऐसी परिस्थितियों में हमें
बहुत सावधानी बरतनी चाहिए..
क्या हम सचमुच अपने
दिलोदिमाग से सोचते हैं
कि हम कभी-कभी
अपनी गलतफहमियों की वजह से
दूसरों के विश्वासघात का
शिकार बन जाते हैं ?
