कल तेरा होगा..
कल तेरा होगा..
सपने कौन नहीं देखता..?
हम सभी देखते हैं..!
क्या अमीर क्या गरीब
सब खोये रहते हैं दिवा स्वप्न में...!
बन्द आँखों के सपने सच होते हैं क्या..?
नहीं पता... हाँ.. !
खुली आँखों के सपने तभी होते हैं सच
जब हम जुटते हैं लगन से
विश्वास से और एकाग्रता के साथ
फिर साधारण सी लगन से
एक टैक्सी चालक भी सरपट भागता है
मानो वो सवारी कर रहा हो रेसर कार पर..!
नहीं...!
वो स्वप्न जो हो हक़ीक़त
कभी उसका स्वरूप विकृत नहीं होता
अपनी शिक्षा से.. /
स्वयं के ज्ञान से... /
आज कुछ भी नहीं तो क्या..!
कल वो होगा जो चाहिए
बस लगन अपने पराकाष्ठा पर हो
सच...!
सच होंगे सपने
जो तूने देखे
कल तुम्हारा भी नाम होगा
स्वर्णिम इतिहास होगा..!
तो क्या हुआ जो आज मामूली सी है कार
कर थोड़ा इंतजार
और रख हौसला ख़ुद पर
कल तेरा होगा
और फिर...!!
