जिंदगी कि डगर
जिंदगी कि डगर
यूं ही तो चलती रहती हूं,
सुबह से रात तक
सांस भी जीने का सहारा
बनकर चलती है ।।
कभी दवा से कभी दुआ से
कभी मुस्कराहट तो कभी लाड से
जीवन चल ही जाता है
उम्र का गुजरना भी चलना
कभी गिर कर संभल के
जीवन चलती है ।।
हो अंधकार घना
ए जीवन तू कभी न डरना
बुलंद कर हौसला हर प्राण का
चलना चलना चलते ही जाना
जैसे धूप बौछार हवा कली का खिलना
परम शांति देती है ।।
अन्तर्मन के प्रकाश जगा के
उलझन में नहीं
सुलझा दें जो हर एक मन उपवन
राहों में तो हजारों जख्म आएंगे जरूर
शांति की प्रेरणा
जीवन खूबसूरत है
