जंगल और जीव
जंगल और जीव
जंगल और जंगली जीवों का जंगल से गहरा नाता है
बेजुबान जानवर जो अपने सुख-दुख को नहीं बताते हैं
जंगल में मिलता है इनको अपना भोजन और सुरक्षा
इंसानों की इस बस्ती में जाने लोग इन्हें क्यों सताते हैंII
निर्मम मानव ने इस प्रकृति में जब से दखल दिया है
उसकी इस आदत ने प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है
मानव ने तो इस बदले हालत में स्वयं को बदल लिया
पर ये बेजुबान क्या करें जिनका घर इंसानों ने तोड़ दिया II
पेड़-पौधे और जीव –जंतु सभी हर दर्द महसूस करते हैं
जाने क्यों लोग इनको सड़कों पर बेबस ही छोड़ देते हैं
आशियाना छीन लिया जानवरों का इंसानियत खत्म हुई
फिर आवश्यकताओं के लिए जंगल पर ही निर्भर होते हैं II
बेबस हैं और लाचार घर -बार नहीं सड़कों पर घूम रहे
इंसानों की बस्ती में जानवर अपना आशियाना ढूंढ रहे
जंगल काटकर जब से इंसानों ने शहरों को बसाया दिया
घट रही है इनकी संख्या धीरे-धीरे विलुप्त यहाँ से हो रहे II
सिकुड़ रहे वन ज्यों-ज्यों खतरे में अस्तित्व पड़ गया है
जानवर ऐसा जीव जो हमारी करुणा और दया के भूखे हैं
आज अपने लालच और घृणा में ऐसे घिरे हैं हम इंसान
चारों ओर सुनाई देती जीव-जंतु और जंगलों की चीखें हैं II
बेजुबान जीवों के लिए प्यारा जंगल ही इनका संसार है
मिलता इनको यहाँ सुकून इस जंगल से इनको प्यार है
मत छीनो इनका जंगल का आशियाना कहाँ ये जायेंगे
भटक रहे इधर – उधर और ये जीव हो रहे लाचार हैं II