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Gangotri Priyadarshini

Abstract Fantasy

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Gangotri Priyadarshini

Abstract Fantasy

अनकही एहसास

अनकही एहसास

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एहसास जो दिल में करवट ले हर पल

छुपाए न छुपे करे जो बेकरार

अनकही वो सारी बातें

तुमसे होती मुकम्मल

मथम सी खुशबू बन के 

दिल को कर दे झकझोर।।


तुमको छूकर गुजरती जो हवा

धिरे से कानों में आ के 

सुनाए मुझे जो सर्द संगीत

खिल जाऊं मैं कली बन के

बहती जाऊं मैं अंगड़ाई ले 

नदी की लहर बन के ।।


तुम हो बेखबर ओ मेरे हमसफ़र 

मेरे दिल की गहराई में गोते लगाते 

अनकहा एहसास हो तुम

जीती हूं मैं खिल खिलाती हुई तितली बन के

जिंदगी है ख़ूबसूरत सिखाती हर पल

मीठी सा वो एहसास तो तुम ।।



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