मातृत्व का एहसास
मातृत्व का एहसास
वो पहला एहसास अपने अंदर
एक प्राण का अंकुरोदगम
मातृत्व के सुखद अनुभव से
सुकून से जी रहे थे हम ।।
दुनिया में वो तुम्हारा पहला दिन
बदल गई थी परिचय मेरी
मां हो गई थी मैं और सामने थी
सृष्टि कि श्रेष्ठ संरचना हमारी ।।
लड़खड़ाता वो पहली कदम
नन्हे प्यारे अवयव के साथ
आज तक के सबसे अनमोल यादें है
वो बचपन के सौगात ।।
मातृत्व सब नारी की अभिमंत्रित
एक आत्म अभिलाषा है
संपूर्णता कि भाव से नारी जीवन
एक प्रवाहमान यात्रा बन जाती है ।।