अजनबी अपना सा
अजनबी अपना सा
दिल का हर हाल
तुमसे तो कभी न छुपा था
जो खुशियां सुकून मेरे पास है
सब तो तुमसे नसीब हुए थे ।।
न तुम मेरे अपने ही
ना जाना पहचाना
दिल में मेरे समा गए हो
ए हमदर्द अनजाना ।।
अजनबी हो कर भी
पूरी करे वो हर एक सपना
जी करता है पल पल
हर पल यादों में तुम्हारे
बीती जाए मेरी रैना ।।