STORYMIRROR

Gangotri Priyadarshini

Abstract Fantasy

3  

Gangotri Priyadarshini

Abstract Fantasy

अजनबी अपना सा

अजनबी अपना सा

1 min
230

दिल का हर हाल

तुमसे तो कभी न छुपा था

जो खुशियां सुकून मेरे पास है

सब तो तुमसे नसीब हुए थे ।।


न तुम मेरे अपने ही 

ना जाना पहचाना

दिल में मेरे समा गए हो

ए हमदर्द अनजाना ।।


अजनबी हो कर भी 

पूरी करे वो हर एक सपना

जी करता है पल पल

हर पल यादों में तुम्हारे

बीती जाए मेरी रैना ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract