STORYMIRROR

Gangotri Priyadarshini

Abstract Classics Fantasy

4  

Gangotri Priyadarshini

Abstract Classics Fantasy

जीवन एक मृगतृष्णा

जीवन एक मृगतृष्णा

1 min
303


जीवन की हर मोड़ पर

पल भर कि खुशी और दो पल कि दुःख

यकीन से परे हैं हर दास्तान

नैनों में भरे आशाओं की लहर

बह जाए पल भर में 

बनके आसुओं की धार कर दें अधीर।


ए दिल किसे करे और

किसे न करें यक़ीन

मृगतृष्णा कि अाघोस में

हम सब डूबते जा रहे हैं 

जहां से उभरना दिन व दिन हो नामुमकिन।


आंखों कि सरहद तक

हमने देखी जो रात और दिन

बदलते मौसम कि मनमानियां

कहिं ऐ तो मृगतृष्णा की

पल में ओझल पल में अटल

प्रतिबिंब तो नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract