और एक दिन
और एक दिन
और फिर एक दिन
बिन आहट दवे पैर बिदा लेनी होगी
सारे रिश्तों से बिन बहाने
नाता तोड़नी होगी
सारे सपने चाहे हो कुछ पूरे या
हो कुछ अधूरे
हसना रोना रूठना मनाना
और फिर एक दिन
छिन जाएंगे जीनेकी हर वो खूबसूरत बहाना
समय के साथ है भागना
कहीं गीर पड़ो तो कोशिश
करके ख़ुदको तुम संभल लेना
भुल कर हर गम बिखरा देना
कुछ यादगार पलों के नज़राना
ए जो जिंदगानी
जब तलक दुनिया है
चलती रहेगी है अानि जानि
कभी न भुला पाएंगें हम या कोई
और ऐ हसीन सिलसिला
और फिर एक दिन
हर एक वो गलियारों में
सुनहरी यादों की कारवां गुजरती जाएगी।