STORYMIRROR

संजय असवाल "नूतन"

Drama Tragedy Fantasy

4  

संजय असवाल "नूतन"

Drama Tragedy Fantasy

मां तुम बिल्कुल न बदलना.!

मां तुम बिल्कुल न बदलना.!

2 mins
286

मुझे मां चाहिए 

एक ऐसी मां 

जो बेशक अनपढ़ हो पर 

जो रखती हो 

मेरे बचपन का पूरा ख्याल,

जिसे पता हो 

बचपन का यथार्थ,

जिसने खुद जिया हो 

एक स्वच्छंद बचपन 

जहां न कोई रोक टोक हो 

न कोई सीमाओं का बंधन,

जहां आसमान 

सबके लिए खुला हो और 

उम्मीदों से बड़ा हो, 

जहां हवा में सरगम हो 

हर तरफ रंगों में डूबी 

ढेर सारी शैतानियां हो।

मां बेशक वक्त बदल रहा है 

पर तुम बिल्कुल न बदलना,

मां तुम अब भी 

अपने पल्लू में 

मुझे छिपा लेना,

अपनी गोद में सर रखकर 

सुला देना,

तुम रातों को मुझे 

ढेर सारी कहानियां सुनाना,

जब मैं डर जाऊं 

तो अपने बाहों में मुझे भर लेना ।

मां तुम बिल्कुल न बदलना 

दूसरी मांओं की तरह 

मॉर्डन न बनना,

मां मॉर्डन होना बुरी बात नहीं..!!

पर इस आधुनिकता में 

जो दूरियां 

मां बच्चों के बीच बन जाती है 

हम बच्चों के 

बचपन के सपनों को 

रौंद जाती है।

मां जींस टी शर्ट पहन कर 

किट्टी पार्टी में जाती है 

ऑनलाइन शॉपिंग से सामान,

पिज्जा बर्गर ऑर्डर करवाती है 

मां पहले तुम संग अपने 

हमें ले जाती थी 

अपने साए से 

दूर नहीं रख पाती थी, 

पर अब देखा देखी में 

आधुनिकता का जो लिबास 

तुमने ओढ़ लिया 

हम बच्चों की 

परवाह करना भी छोड़ दिया,

मोबाइल हरदम तुम्हारा

साथी बन गया है 

बात बात पर घर में झगड़े 

पापा से बात न होना 

आम हो गया है।

मेरे ज्यादा बोलने या 

कुछ मांगने से 

तुम्हें परेशानी होने लगती है 

मेरी देखरेख भी 

आया(मेड) के जिम्मे होने लगी है,

जब भी मां मां कहकर 

मैं तुम्हें पुकारता हूं,

कभी चाकलेट कभी चिप्स 

कुछ पैसे हाथों में देकर 

तुम मोबाइल थमा देती हो,

मां बेशक 

परिस्थियां बदल रही है 

तेरी मल्टीटास्किंग की 

हर ओर खूब चर्चाएं भी होने लगी है,

तूने घर बाहर 

दोनों जगह मैनेज करना 

बखूबी सीख लिया है,

आधुनिकता में बढ़ चढ़कर 

भाग लेना सीख लिया है, 

पर मां...!

मुझे पहले वाली 

साधारण मां चाहिए,

जिसके चरणों में 

सारा जहां हो मेरा 

वैसी सरल मां चाहिए।

मां मेरे साथ बैठकर

चांद को देखे 

तुझे अरसा बीत गया है, 

अपनी आवाज में 

लोरी सुनाए 

तुझे काफी वक्त बीत गया है,

पर मां कहां वो पहले वाली बात,

तू अब खूब व्यस्त रहती है

भौतिकता के पीछे 

भागती दौड़ती है, 

मां तुम बेशक 

मॉर्डन मां हो गई हो पर 

इस आधुनिकता में 

मेरे बचपन का ख्याल रखना भी

तुम भूल गई हो,

आधुनिकता की वजह से 

तुम मुझे खुद से इतना

दूर मत करो, 

ये बचपन फिर कभी 

लौट कर नहीं आएगा 

आधुनिकता की आंधी में

दब कर गुम हो जायेगा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama