।। सयाना न था।।
।। सयाना न था।।
शायद कुछ कमी रही थी मेहनत में,
या फिर मुकद्दर साथ नहीं है मेरे,
अभी समय नहीं आया तेरा पगले,
ऐसे कितने अंदेशे थे बस मुझे घेरे,
हर असफलता थी कोई कहानी लाती,
जगत में मेरी सफलता का फ़साना न था,
खुद को आजमाने में न कोई कसर छोड़ी
मैं काबिल तो था पर शायद सयाना न था ।।
मैं खेल में भी था खिलाड़ी भी था,
सब कायदे जानता था अनाड़ी न था,
कुछ से रहा मैं बेहतर सीखा भी बहुत कुछ से,
कितने अभागे बाहर जो काबिल रहे थे मुझसे,
कीमत तो मिली हमको भी बाजारे हुनर में,
बस मन के माफिक मिलता कोई बयाना न था,
हुनर रंग दिखाएं ढूँढता बस वो महफिल,
मैं काबिल तो था पर शायद सयाना न था ।।
मैं गिनतियों को छोड़ पहाड़े पे अङा था ,
जहां सब हुए निराश तब भी मैं खड़ा था,
मेरी उम्मीद मेरे हिज्र से न कभी भारी थी,
मेरे यकीन पे मेरे वज़ूद की जिम्मेदारी थी,
जो मुङ के देखता हूँ सफर के बाकी निशां,
सच कहूं मुझ से कभी बेबाक जमाना न था,
वाहवाही और झूठी शाबाशियों में गुम,
मैं काबिल तो था पर शायद सयाना न था।।
