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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy Others

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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy Others

घुट-घुट कर यूँ ही.....

घुट-घुट कर यूँ ही.....

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घुट-घुट कर यूँ ही, घट-घट घटती ज़िन्दगी,

दर-दर दर्द लिये, झर-झर झरती ज़िन्दगी।

सर-सर साँसों में, सील-सील सुलगती ज़िन्दगी,

पल-पल पलकों से, ढुल-ढुल ढुलकती ज़िन्दगी।

घुट-घुट कर यूँ ही, घट-घट घटती ज़िन्दगी…..


गुनाह भी हम हुए, और गुनहगार भी हम रहे,

ज़िन्दगी तेरी अदालत, में तलबगार ही हम रहे।

क्षण-क्षण क्षुधा से, तिल-तिल तरसती ज़िन्दगी,

बूंद-बूंद बारिश सी, टीप-टीप टपकती ज़िन्दगी।

घुट-घुट कर यूँ ही, घट-घट घटती ज़िन्दगी…..


चाँद धुंधला रहा, दिन पर भी रातों का साया रहा,

रौशनी से नहीं गिला, अंधेरा भी मुझसे पराया रहा,

नित-नित नियति में, शनैः-शनैः शन होती ये ज़िन्दगी,

कण-कण काल में, खर-खर खिन्न होती ये ज़िन्दगी।

घुट-घुट कर यूँ ही, घट-घट घटती ज़िन्दगी…..


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