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JAYANTA TOPADAR

Drama Inspirational

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JAYANTA TOPADAR

Drama Inspirational

ऐसी मानसिकता क्यों...???

ऐसी मानसिकता क्यों...???

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वो गुज़रा ज़माना था, 

जब लोग अतिथि का स्वागत 

तह-ए-दिल से किया करते थे...। 

मगर आज के इस यांत्रिक जीवन में 

कुछ ऐसे मेज़बान भी हैं, 

जो कि अतिथि से पीछा छुड़ाने के 

नये-नये हथकंडे अपनाते फिरते हैं। 


मसलन (कुत्ते न होते हुए भी) मुख्य द्वार पर 

ये लिखकर रखना : "कुत्तों से सावधान !!!" 

या नहीं तो मुख्य द्वार को 

अति चालाकी से अंदर-बाहर 

दोनों तरफ कुंडी लगाकर रखना, 

जिससे कि अतिथि 

बाहर से ही निराश होकर लौट जाए। 


अगर मुख्य-द्वार पर 

गृहस्वामी से अतिथि की मुलाक़ात 

हो भी जाए, तो वह 

कोई-न-कोई नया बहाना बनाकर 

अतिथि को मुख्य-द्वार से 

बाहर कर देने से भी बाज़ नहीं आते !!!


ऐसा नहीं है कि 

मेज़बानी करने की 

उनकी औकात नहीं, 

हक़ीक़त में अतिथि का 

तह-ए-दिल से स्वागत करने की 

उनकी सदिच्छा ही नहीं ! 


लोग अपनी स्वार्थ भरी दुनिया में 

इस कदर खो चुके हैं 

कि एक ही परिवार में रहकर भी 

घर के सदस्य 

मोबाइल फोन पर ही 

ज़्यादा समय बिताने लगे हैं, 

न कि एक-दुसरे का 

हाल-चाल पूछने में ! 


ऐसे कई लोग हैं जो कि 

अपने मोबाइल फोन से 

थोड़ी देर के लिए 'नज़रें हटाकर' 

अतिथि का स्वागत करने की 

बात से भी कतराते हैं !


अक्सर देखा जाता है कि 

बिना स्वार्थ के 

कोई किसी को 

एक प्याली चाय तक नहीं पूछता, 

अतिथि की आवभगत की 

तो बात ही छोड़िए !


आज हमारा समाज 

किस दिशा में जा रहा है...??? 

क्यों आज कुछ लोग 

इतने अवसरवादी एवं स्वार्थी बन चुके हैं ?


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