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Sonam Kewat

Romance Tragedy Fantasy

4  

Sonam Kewat

Romance Tragedy Fantasy

चार दिनों का किस्सा

चार दिनों का किस्सा

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तुम जब भी रूठते हो मैं मनाती हूं 

तुम्हारा मन हो तो रूठ जाया करो 

रूठती तो मैं भी बहुत हूँ बस

कभी तुम भी तो मुझे मनाया करो


मैं तो सारा घर संभालती हूं 

तुम बस वक्त पर घर आया करो 

दिन भर की थकान मिट जाएगी 

बस थोड़ा सा ही प्यार जताया करो 


अरे कमाते रहते हो नाम दुनिया में 

कभी काम मेरे भी आया करो 

जन्मदिन का नहीं तो ना सही 

कम से कम हमारी सालगिरह पर 

तो कोई तोहफा लाया करो


कुछ बातें बिन कहे भी सुन लो

कभी फुर्सत में अपनी सुनाया करो

मैं अगर नहीं समझती तो क्या 

तुम खुद ब खुद समझ जाया करो 


दौलत तो जिंदगी के लिए है

लेकिन प्यार जीने का हिस्सा है 

जीने दो कुछ पल तुम्हारे साथ 

आखिर यही चार दिनों का किस्सा है।


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