इंतज़ार
इंतज़ार
कितनी मुद्दतें बीत गई उन्हे याद करते करते
शायद कभी, कहीं, मिलें वो यूं ही चलते चलते
कभी वो मिलें तो हम बताएं उन पलों के किस्से
के कितनी तन्हाईयां आयी है हमारे हिस्से
क्या खता हुई हमसे, हम तो ये जान भी ना पाए
जिसने तन्हा छोड़ दिया उसे दिल से निकाल भी ना पाए
यूं तो सारा ज़माना साथ है, फिर भी हम तन्हा से हैं
क्योंकि जिसे हमने दुनिया मान लिया वो हमसे कुछ खफा से हैं
अब तो बस यही दुआ है के एक बार मुलाकात हो उनसे
क्योंकि बताना है उन्हें वही, जो अब तक छुपाया है सबसे।

