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Sanjay Bhaskar

Fantasy

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Sanjay Bhaskar

Fantasy

आने वाले दिनों मे

आने वाले दिनों मे

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आने वाले दिनों में जब

हम सब    

कविता लिखते पढ़ते बूढ़े

हो जायेंगे !

उस समय लिखने के लिए

शायद जरूरत न पड़े


पर पढ़ने के लिए

एक मोटे चश्मे की

जरूरत पड़ेगी

जिसे आज के समय में हम

अपने दादा जी की आँखों पर

देखते हैं !


तब पढने के लिए

ये मोटा चश्मा ही होगा

अपना सहारा

आने वाले दिनों में

देखता हूँ यह स्वप्न


मैं कभी-कभी 

क्‍या आपको भी

ऐसा ही

ख्‍याल आता है कभी !


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