किसने सोचा था
किसने सोचा था
किसने सोचा था
एक बदहवास सी दौड़ती जिंदगी
कुछ यूं थम सी जाएगी
अच्छा खासा गुज़रता हुआ सफर
कुछ यूं ठहर सा जाएगा
जिंदगी की आपाधापी
कभी इस कदर बेरंग सी पड़ेगी
कि सारी हुक़ूमत होते हुए भी
खुद को एक कटघरे में कैद
सा करना पड़ेगा,
वक़्त वक़्त की नज़ाकत है
राफ्ता राफ्ता
गुजर रहा है वक़्त
कुछ खट्टे मीठे यादों के संग
कुछ देश की
कुछ प्रदेश की
कुछ समाज की
कुछ परिवार की
हर खुशी है दामन में
पर पाने के लिए वक़्त नहीं है
दिन रात दौड़ती दुनिया में
अब जिंदगी के लिए वक़्त नहीं है
खुद की बनाई जाल में
आज खुद ही आ फँसे हैं हम सभी,
कुदरत के इस कोरोना कहर का
आखिरी हकदार हैं हम सभी - 2...