मर्यादा
मर्यादा
मुझे मेरी गुमान ने नहीं, मेरी मर्यादा ने जकड़ रखी है|
मेरे लिए किसी हुक्मरानों ने कोई रेखा नहीं बना रखी है,
मुझे तो मेरे संस्कारों ने अपने घेरे में ले रखी है |
बात मेरे गुस्ताख भरी सौभाव की नहीं, बात मेरे दायरे की है,
ये दायरा किसी मजहब के गालिब ने बनाया है|
इसे तो मै खुद अपनी उत्पति से सृजित कर रखी है,
किसी की नजरो ने मुझे गुमान भरी बता रखी है|
तो किसी के खयालों ने मुझे संस्कारों से लबरेज कह रखा है,
ख्याल अपना - अपना है सौभाव मेरा, मेरा ही रहेगा |
मुझे मेरी गुमान ने नहीं, मेरी मर्यादा ने जकड़ रखी है|
मुझे वो हर इल्म याद है और वो तालीम भी,
जो कुछ अर्षो पहले मुझे, मेरी हिफाजत मे छोर गए,
जिंदा है वो आज भी मुझमे, मेरी संस्कारों की भाँति,
खुद की पहचान में जीने का|
ये दायरा और खुद का पहचान मेरी गुमान नहीं,
ये फासला मेरे संस्कारों का है|
मुझे मेरी गुमान ने नहीं, मेरी मर्यादा ने जकड़ रखी है |