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Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

किसी अपने को!

किसी अपने को!

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किसी अपने को खोने का दर्द,

छलक जाता है आँखों से,

जब भी कभी होते है अकेले हम,

वो लौट आता है यादों के गलियारों में।


उसकी बोलती आँखें जो थी निःशब्द,

उसके अंदर की छुपी हुई अमिट वेदना,

बयां कर देती थी मंजर उसके दिल का,

पशु होने का एहसास पलता था भीतर ही।


निःशब्द प्रेम उसका एक अमिट एहसास हैं,

उसका मेरी जिंदगी में एक भूला हुआ ख्वाब हैं।


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