किसी अपने को खोने का दर्द
किसी अपने को खोने का दर्द
दादा दादी को देखा नहीं
ना नानी का संग मिला
अपने बुजुर्गों में मुझको
बस नाना का प्यार मिला
मित्र के जैसे रहते थे
अच्छी बातें भी सिखाते थे
मस्ती में हम दोनों मिलकर
खूब खेलते गाते थे
वो गए तो जैसे कि
दिल ही सबका तोड़ गए
जीवन तो चल रहा है पर
एक खालीपन छोड़ गए
आज भी उनका चेहरा
आंखों में है बसा हुआ
देह विदा हुई है बस
प्रेम तो रूह में बसा हुआ।
