कि तुम कब जाओगे
कि तुम कब जाओगे
सुबह उठते ही हमें तुम्हारा ख़्याल आया
तेरी जुबां से निकला वो सवाल याद आया
तुम पूछ बैठे हमसे कि कब जाओगे
कोई बात नहीं
यहां से तो चले जायेंगे दिल से कैसे निकाल पाओगे
तेरा ये अंदाज़ हमें अब बड़ा अख़रता है
जब अपना कोई बच्चों सा बिफ़रता है
चलो इसी बहाने तेरी नफरत का सैलाब बाहर आया
पीछे दूर कहीं दिल की गहराई में प्यार का पैगाम छोड़ आया
अरे दिल्लगी में यही तो खास है
हम समझ नहीं पाते की कौन किसके पास है
हम तो पहले प्रत्यक्ष रूप में
अब अप्रत्यक्ष रूप में तेरे साथ है
मुझे क्या पता तेरे दिल में
अब ऐसा क्यों अहसास है
चल बंद कर आँखे फिर देख कि
कौन कौन तेरे पास है
हर चीज़ इस जग में एक झूठी आस है
बस प्यार ही प्यार खास है
जरा अपने दिल को ले सम्भाल
जुगुनू सा कहीं कहीं टिमटिमाता है
फिर घोर अंधकार में कहीं खो जाता है
और करता हमसे ये सवाल कि तुम कब जाओगे
कि तुम कब जाओगे
बना डाल तू इस दिल को
हर रंगो की फूलों की थाल
कर अर्पण ईश्वर को बोल डाल
ले तू इसको सम्भाल
फिर न रहेगा कभी ये बवाल
कि तुम कब जाओगे।