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Swati K

Romance Classics

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Swati K

Romance Classics

ख्याल...

ख्याल...

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गुजरते हर लम्हों में 

तुम्हारा ही ख्याल है

हर ख्यालों में 

तुम्हारा ही हाल-ए-जिक्र है

इश्क की तिश्नगी तो देखो...


जैसे चांदनी बिखरकर यूं

ओस की बूंदों में सिमट रहा

तुम्हारे प्यार की तपिश यूं

मेरे जर्रे जर्रे से लिपट रहा


पर कहीं कुछ टूटा सा

कहीं कुछ अधूरा सा

आंसू भी हमसे कुछ रूठा सा

आंखों में जाने कहां खोया सा


हर सितारा आसमां

में आज खफा सा

अंधेरी रातों से गुफ्तगू करता 

दिल आज कुछ परेशां सा


जैसे नदियां सागर से यूं

मिलन को मचल रहा

तुम्हारे दीदार को

ये आंखें तरस रहा

ना चाहत कुछ और बाकी रहा...


मेरी जिंदगी को जिंदगी मिल जाए

जो तुमसे एक बार रूबरू हो जाए

"ख्यालों" को मेरे मंजिल मिल जाए

 बस तू आकर मेरे रूह में समा जाए !


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