नदी हूं मैं
नदी हूं मैं
नदी के किनारों की तरह तुम मेरे साथ हो भी और नहीं भी..
तुम्हे पाने की चाहत में सदियों से संघर्षरत हो दुर्गम पहाड़ी इलाकों के बीच से बहे आ रही हूं मैं !
जानती हूं तुममे ही समाहित होना है मुझे तब भी अपनी ही आवाज़ जब गूंजती है मुझमें,,,
प्रतिध्वनि से उसकी क्यूं सहम जाती हूं मैं???
सदियों से अनुत्तरित सवालों का बोझ उठाए बहे जा रही हूं मैं
नदी हूं मैं !!!