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CHARVI JAIN

Abstract Romance

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CHARVI JAIN

Abstract Romance

रिश्ते

रिश्ते

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इन उलझे हुए रिश्तों को

सुलझा दे तू इस कदर

कि फिर कभी उलझने न पाए

ओ मेरे हमसफर।


राहों में चलते - चलते कभी

अगर होना भी पड़े जुदा

तो अलग हो कर भी

करीब रखे ऐ खुदा।


चोट लगे तो संभाल ही नहीं

हिम्मत भी हो साथ

होने से उनके कमजोर नहीं

बढ़े ताकत जब मिले हाथ।


इतनी - सी है ख्वाहिश मेरी

छोटी - सी है चाह।


इन उलझे हुए रिश्तों को

सुलझा दे तू इस कदर

कि फिर कभी उलझने न पाए

ओ मेरे हमसफर।


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