रिश्ते
रिश्ते
इन उलझे हुए रिश्तों को
सुलझा दे तू इस कदर
कि फिर कभी उलझने न पाए
ओ मेरे हमसफर।
राहों में चलते - चलते कभी
अगर होना भी पड़े जुदा
तो अलग हो कर भी
करीब रखे ऐ खुदा।
चोट लगे तो संभाल ही नहीं
हिम्मत भी हो साथ
होने से उनके कमजोर नहीं
बढ़े ताकत जब मिले हाथ।
इतनी - सी है ख्वाहिश मेरी
छोटी - सी है चाह।
इन उलझे हुए रिश्तों को
सुलझा दे तू इस कदर
कि फिर कभी उलझने न पाए
ओ मेरे हमसफर।

