क्यों बन चुकी हो तुम खुशी मेरी?
क्यों बन चुकी हो तुम खुशी मेरी?


बीत रही थी जो जिंदगी अकेले मे
रीना किसी के जाने का गम था, ना आने की खुशी ।
फिर क्यों तक्दीर ने तुमसे मिला दिया
जब किसी के साथ होते का नामों - निशां ना था ॥
मिली एक दिन यूँ
ही एक अजनबी हसीना अंदाज़ था अलग , अलग था उसका निखरना ।
हँसी उसकी जैसे एक बहार लाने वाली एक खुशनुमा शाम,
आँखों की चंचलता जैसे खुले तारों से सने आसमा में खिलता एक चाँद ॥
उसकी डाँट के पीछे छुपा एक प्यारउसके रूठेपन को हटाने की खुशी का ख्वाब ।
दुख में उसकी रोता है दिल मेरा भी खुशी में उसकी झूम उठता है मन मेरा भी ॥
बातों से उसकी होने लगा प्यार,सुनहरे रूप से उसके होने लगा इकरार
उसकी एक झलक का करने लगा ये दिल इंतजार,
कहने लगा मन क्या करदूँ अपने प्यार का इजहार ?
करता हूँ प्यार तुमसे जिंदगी से ज़्यादा डरता नहीं मौत से तेरी जुदाई से ज्यादा
चाहे आजमाले मुझे किसी और से ज़्यादा जिंदगी थोड़ी है आपकी मोहब्बत से ज़्यादा ॥