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Satyawati Maurya

Romance

3  

Satyawati Maurya

Romance

बस इतना ही तो चाहा था,,,

बस इतना ही तो चाहा था,,,

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इतना ही तो चाहा था,

बस इतना ही तो चाहा था।


तेरी जुस्तजू तेरी चाहत,

वादा वफ़ा का मांगा था,

आते जीवन में बन हमसफ़र 

इतना ही तो चाहा था,

बस इतना ही तो चाहा था।


बस ख़्वाबों में आया किये तुम,

बीते न जाने यूँ कितने ही मौसम।

जो तुम आते ठहर जाती शामें,

तनिक देर से आतीं फिर ये रातें।

इतना ही तो चाहा था,

बस इतना ही तो चाहा था।


ख़ुशियाँ गईं और की गली में,

तुम आते तो उसकी भी हो आहटें।

दिल को समझाएँ कितना बता दे,

न दिन बीते न बीते काली रातें।

इतना ही तो चाहा था,,

बस इतना ही तो चाहा था।


काजल अंसुवन धुला बह गया,

जूड़ा खुला गजरा धरा ढह गया।

आँचल की कोर आँसू है थामे,

कलपे है मेरा मन बिन मुलाक़ातें।

इतना ही तो चाहा था।

बस इतना ही तो चाहा था।



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